NOT KNOWN DETAILS ABOUT भाग्य VS कर्म

Not known Details About भाग्य Vs कर्म

Not known Details About भाग्य Vs कर्म

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आचार्य जी-अरे यह सब तो मां-बाप, अध्यापक, घर के बुजुर्ग और हम जैसे लोग सिखाते ही रहते हैं की जीवन कैसे जीना चाहिए और कैसे कर्म करने चाहिए, फिर ये आप ज्योतिष सीख कर, अपना वक्त लगाकर ही क्यों करना चाहते हैं?

आचार्य जी पहुंचे और सबसे मिलने लगे, उन्होंने मुझे देखा, मुस्कुराये और सभी से थोड़ी देर बाद मिलने को कहा।

आचार्य जी– आप बहुत ही उत्सुक लगते हो, मैंने तो आपको कोई समय नहीं दिया, फिर भी आप सुबह-सुबह जल्दी चले आये।

न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥

लक भी उन्ही में से एक है, पर अगर कोई चीज समझाई नहीं जा सकती तो इसका ये मतलब नहीं है कि वो है ही नहीं.

जिस तरह एक मूर्तिकार अपने हातो से मूर्तिको आकर देता है उसी तरह हम भी अपने कर्मो से अपना जीवन बदल सकते है.

न जाने कितने नाम हैं जिन्होंने महागारीबी से महाअमीरी तक का सफ़र तय किया

Karm se hi luck ka nirman hota h,jaisa hm karm krenge waisa more info Hello hmara bhagya bnega .So bhagya se bada karm h.

एक बूँद के भाग्य में क्या है वो धरा पे गिरकर मिट्टी में मिल जायेगी या सीप में गिर के मोती बन जायेगी ये तभी सुनिश्चित होगा जब वो बादलों को छोड़ने का कर्म करेगी.

राजकीय सेवा पाने के लिए संघर्षरत कोई युवा जब प्रतियोगिता में अपेक्षित प्रतिशत प्राप्तांक प्राप्त करने के बाद भी सिर्फ इस लिए उसे चयनित नही किया जाता की उसे संविधान में आरक्षण प्राप्त नही है। आप उस युवा की इस आधारहीन विफलता पर उससे क्या कहेंगे की कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता हैं???????

“दैव-दैव आलसी पुकारा”- आलसी ही दैव (भाग्य) का सहारा लेता है.

आप पहले तय कर लीजिये कि आप पक्ष में हैं या विपक्ष में और उसी के मुताबिक अपना कमेंट डालिए.

आज हमारी डिबेट का टॉपिक इन्ही विरोधाभाषी विचारों को लेकर है. हमारा टॉपिक है-

अगर कर्म ही बड़ा होता तो लाखों-करोड़ों लोग हाथों में अंगूठियाँ नहीं पहनते…जिसमे नीलम पहनने वाले अमिताभ बच्हन जैसी हस्ती भी शामिल हैं.

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